गरीबों को ठंड से बचाने की योजनाओं के बीच बीघापुर तहशील प्रशासन खानापूर्ति में व्यस्त

पाटन उन्नाव। कड़ाके की ठंड व शीतलहर से आम जनता को बचाने के लिए शासन की ओर से चाहे जितनी भी योजनाओं का संचालन किया जा रहा हो बीघापुर  तहसील प्रशासन महज खानापूरी करने में व्यस्त है। तहसील परिसर में बनाया गया रैन बसेरा इसका ज्वलंत उदाहरण है और इसे देखकर क्षेत्र की स्थिति का अंदाजा सहज लगाया जा सकता है। सरकारी योजनाओं को लेकर बीघापुर तहसील प्रशासन पूरी तरह बेखबर है। अन्य कुछ योजनाओं की तरह रैन बसेरा योजना को भी यहां पर मजाक बनाकर रख दिया गया है। दूसरों को नसीहत व दिशा निर्देश देने का अधिकार रखने वाले तहसील प्रशासन अब तक तहसील परिसर में ही रैन बसेरा का संचालन प्रारंभ नहीं  कर सका है। सभी नियम व निर्देशों को धता बताते हुए यहाँ पर परिसर के अंदर बने जेनरेटर रूम के शटर पर करीब डेढ़ महीने पूर्व रैन बसेरा का बैनर लटकाया गया था। जबकि इस शटर का ताला आज तक नहीं खोला गया। नियमानुसार रेन बसेरा ऐसे स्थान पर होना चाहिए जहां लोगों का आवागमन हो, ताकि किसी प्रकार की मजबूरी होने पर यहाँ ठंड से बचाव करते हुए रात काटी जा सके। इन सबके विपरीत तहसील परिसर में जिस स्थान पर बैनर लगाया गया है वहाँ छत के नाम पर दो फिट का छज्जा मात्र है। न दीवारें हैं यह पर और न गद्दा या कम्बल। सबसे बड़ी बात तो यह है कि शाम होने के बाद तहसील परिसर में किसी का प्रवेश ही नहीं संभव होता है। यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि रैन बसेरा का बैनर लगाए जाने के बाद जिलाधिकारी, अपर जिलाधिकारी का यहाँ कई बार आना जो चुका है। जबकि एसडीएम, तहसीलदार व नायब तहसीलदार दिन में कई बार इस बैनर के सामने से गुजरते हैं। यहां बताना जरूरी है कि रायबरेली राजमार्ग पर तहसील मुख्यालय से चंद कदमों की दूरी पर बस स्टेशन व रेलवे स्टेशन हैं। यहाँ पर देर रात तक मुसाफिरों का आवागमान व ठहराव रहता है। इन स्थानों पर रैन बसेरा की महती आवश्यकता है। तहसील प्रशासन के इस कारनामे व सरकारी योजनाओं के प्रति गंभीरता को देखने के बाद पूरे क्षेत्र में रैन बसेरा व ऐसी अन्य योजनाओं की स्थिति का आंकलन आसानी से किया जा सकता है। जानकारों का दावा है कि पूरे तहसील क्षेत्र में कागजों पर ही रैन बसेरा जैसी जनोपयोगी योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है।


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